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Kundan Lal Saigal

के.एल. सहगल : भारतीय सिनेमा के तानसेन जिन्हें शराब पी गई- Kundan Lal Saigal Biography in Hindi

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कुंदन लाल सहगल को भारत का पहला सुपर सिंगर कहा जाये तो गलत नहीं होगा। सहगल भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के पहले गायक और इनके बाद आने वाली पीढ़ी के गायकों के आदर्श रहे हैं। बहुत से सिंगर्स ने अपने प्लेबैक सिंगिंग का सफर सहगल साहब की नक़ल करते हुए शुरू किया।

मशहूर तिकड़ी मोहम्मद रफ़ी, किशोर कुमार और मुकेश ने जहाँ इन्हे अपना गुरु माना, वहीं मुकेश ने अपने कॅरियर के शुरूआती समय में गीत ‘दिल जलता है तो जलने दे’ को सहगल की आवाज में गाकर सबको चौंका दिया था।

के. एल. सहगल का आरंभिक जीवन Kundan Lal Saigal Early Life

K.L. Saigal का जन्म 11 अप्रैल 1904 को जम्मू में हुआ था। लेकिन बहुत से लोगों को मत है कि उनके जन्म की असली तारीख 4 अप्रैल थी। सहगल के पिता जम्मू में तहसीलदार थे। उनकी माताजी रोज मंदिर जाया करती थी और साथ में नन्हे कुंदन को भी लेकर जाती थी। सहगल को संगीत की शिक्षा किसी गुरु से नहीं मिली। माता जी को मंदिर में भजन गाते देखकर उन्होंने संगीत सीखा। उनके पिताजी को सहगल का यह संगीत प्रेम बिल्कुल भी पसंद नहीं था। इसलिए जब भी वह गाते उन्हें पिता की मार झेलनी पड़ती।

12 वर्ष की उम्र में आवाज खराब होना Kundan Lal Saigal Biography

सहगल की उम्र जब 12 वर्ष थी तभी उनकी आवाज किसी कारणवश खराब हो गई। उनकी माताजी सहगल को एक साधु के पास लेकर गई। साधु ने सहगल को एक मंत्र के बारे में बताया और जोर-जोर से उसका उच्चारण करने के लिए कहा। सहगल ने उस मंत्र का उच्चारण 2 साल तक जोर-जोर से प्रतिदिन किया और इससे उनकी आवाज फिर से ठीक हो गई।

काम की तलाश Kundan Lal Saigal Biography

पिता के रिटायर होने के बाद सहगल का परिवार जम्मू से जालंधर आ गया। लेकिन पिता की नाराजगी सहगल के शौक के प्रति अभी भी जारी थी। गायकी के लिए अपने जुनून के चलते सहगल घर छोड़कर काम की तलाश में निकल गए। पहले उन्होंने रेलवे में टाइम कीपर के रूप में काम किया। उसके बाद रेमिंगटन टाइपराइटर कंपनी में बतौर सेल्समैन काम करना शुरू किया।

एक बार टाइपराइटर बेचने के लिए उन्हें लाहौर जाना पड़ा। जहां उनकी मुलाकात मेहर चंद जैन से हुई। दोनों बहुत अच्छे दोस्त बन गए और मेहर चंद ने सहगल को नौकरी छोड़कर गायकी में अपना कॅरियर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया।

कैसे मिला सहगल को पहला ब्रेक Kundan Lal Saigal First Break

सहगल मेहर चंद के साथ कोलकाता आ गए, जो कि उस समय संगीत प्रेमियों का पसंदीदा स्थान हुआ करता था। कोलकाता की प्रसिद्ध ‘हिंदुस्तान रिकॉर्डिंग कंपनी’ ने एक बार उनकी आवाज सुनी और यह निर्णय लिया कि सहगल को ब्रेक दिया जाना चाहिए। इसी के साथ कंपनी ने 1930 में सहगल का एक गाना रिकॉर्ड किया। रिकॉर्ड में एक तरफ सहगल का गाना ‘झूलना झुलाओ’ था और दूसरी ओर एक भजन ‘होली हो ब्रिज राज दुलारे’ था।

इस रिकॉर्ड को लोगों ने बहुत पसंद किया और देखते ही देखते रिकॉर्ड की 5 लाख कॉपियां बिक गई। अब कोलकाता के म्यूजिक डायरेक्टर्स सहगल को पहचानने लगे थे और उनके साथ काम करना चाहते थे।

न्यू थियेटर कोलकाता के साथ एसोसिएशन Kundan Lal Saigal with New Theater

इसी बीच सहगल की मुलाकात ‘न्यू थियेटर कोलकाता’ के मालिक बीएन सरकार से हुई। सहगल साहब से प्रभावित सरकार ने तुरंत उन्हें ₹200 महीने की तनख्वाह पर नौकरी दे दी। उस जमाने में ₹200 एक बहुत बड़ी रकम हुआ करती थी।

इसी के साथ सहगल ने ‘न्यू थिएटर’ के साथ अपना फिल्मी सफर शुरू किया। शुरुआती तीन फिल्मों में उन्होंने कुंदन लाल सहगल नहीं, बल्कि कश्मीरी सहगल के रूप में काम किया। इन तीन फिल्मों के नाम थे, ‘मोहब्बत के आंसू’, ‘जिंदा लाश’ और ‘सुबह का सितारा’

दुर्भाग्य से तीनों ही फिल्में फ्लॉप हो गई लेकिन ‘न्यू थिएटर’ के साथ बनाई गई उनकी चौथी फिल्म ‘पूरण भगत’ सुपरहिट साबित हुई। इसके बाद उनका स्टारडम सातवें आसमान पर जा पहुंचा। हर कोई सहगल जैसा दिखना और गाना चाहता था।

1934 में ‘चंडीदास’ और 1935 में ‘देवदास’ रिलीज हुई, जिसने उन्हें रातों-रात शोहरत की बुलंदियों पर पहुंचा दिया। एक समय प्लेबैक सिंगिंग नहीं हुआ करती थे। वह पहले ऐसे सुपरस्टार बन गए जो एक्टिंग भी करते थे और खुद गाना भी गाते थे।

रविंद्र नाथ टैगोर को किया प्रभावित Kundan Lal Saigal with Rabindranath Tagore

कोलकाता में रहते रहते सहगल बंगाली सीख चुके थे और बंगाली में गाने भी गाते थे। एक बार गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर की कुछ कृतियों को आवाज देने से पहले उन्हें टैगोर से अनुमति लेनी पड़ी। टैगोर ने पहले उनकी आवाज को सुना और जब उन्हें क्या विश्वास हो गया कि सहगल को बंगाली भाषा का पूर्ण ज्ञान है तभी उन्होंने गीत को गाने की अनुमति दी।

रंजीत मूवी टोन के साथ कॉन्ट्रैक्ट Kundan Lal Saigal with Ranjit Movietone

1941 में फिल्म इंडस्ट्री कोलकाता से मुंबई शिफ्ट हो गई और इसी के साथ सहगल भी मुंबई आ गए। यहां उन्होंने मशहूर फिल्म कंपनी रंजीत मूवी टोन के साथ एक कॉन्ट्रैक्ट साइन किया जिसके मुताबिक प्रति फिल्म के लिए उन्हें एक लाख दिया जाना तय किया गया। उस समय के हिसाब से यह एक बहुत बड़ी रकम हुआ करती थी।

रंजीत मूवी टोन के साथ उन्होंने 1942 में ‘भक्त सूरदास’ और 1943 में ‘तानसेन’ बनाई। दोनों ही फिल्में सुपरहिट रही। 1944 में ‘न्यू थिएटर’ के साथ उनकी आखिरी फिल्म ‘माई सिस्टर’ रिलीज हुई।

शराब की लत Kundan Lal Saigal Biography

1937 में सहगल को शराब पीने की बुरी लत लग गई थी। शौक के साथ शुरू हुई शराब नोशी धीरे-धीरे उनकी कमजोरी बन गई। आलम यह होने लगा कि बिना शराब पिए वे एक गाना भी ढंग से नहीं कर सकते थे। 1946 में संगीतकार नौशाद सहगल के साथ एक फिल्म शाहजहां में काम कर रहे थे। नौशाद (Naushad) ने उनसे एक ही गाने को दो बार रिकॉर्ड करवाया। एक बार शराब पीकर और एक बार बिना शराब पिए।

जब गाने के दोनों ट्रैक रिकॉर्ड हो गए, तब नौशाद ने सहगल को दोनों ट्रैक सुनाएं और उनमें से उस ट्रैक को पहचानने के लिए कहा, जो कि अच्छा गाया गया था। सहगल को वह ट्रक पसंद आया जिसमें उन्होंने शराब नहीं पी थी। इस पर नौशाद ने उन्हें समझाया कि उन्हें शराब नहीं पीनी चाहिए, क्योंकि इससे उनकी गायकी पर बुरा असर पड़ रहा है। इस पर सहगल ने कहा कि अब बहुत देर हो चुकी है और उनका शराब छोड़ना मुमकिन नहीं है।

सहगल की मृत्यु Kundan Lal Saigal Death Reason

धीरे-धीरे सहगल की तबीयत खराब रहने लगी। अपने अंतिम समय में वह मुंबई छोड़कर जालंधर आ गए। 18 जनवरी 1947 को लीवर में खराबी आ जाने की वजह से उनका निधन हो गया। उनकी अंतिम फिल्म ‘परवाना’ उनके निधन के बाद रिलीज हुई।

लता करना चाहती थी सहगल से शादी Kundan Lal Saigal and Lata Mangeshkar

सहगल के चाहने वालों की लिस्ट में लता मंगेशकर का नाम भी शामिल है। बचपन में वे अक्सर अपने पिता से कहती थी कि वे जब बड़ी हो जाएंगी तो सहगल से शादी करेंगी। तब लता जी के पिता उन्हें समझाते थे, कि जब उनकी शादी की उम्र होगी, सहगल की शादी की उम्र निकल जाएगी।

किशोर कुमार से मुलाकात Kundan Lal Saigal and Kishore Kumar

बहुत से लोगों को मानना है कि Kishore Kumar कभी अपने गुरु सहगल से नहीं मिले। कुछ समय पहले किशोर कुमार के बेटे Amit Kumar ने एक शो में बताया कि बचपन में किशोर कुमार ने अपने भाई अशोक कुमार से सहगल से मिलवाने की जिद की। जब किशोर की मुलाकात सहगल से हुई तो, सहगल ने उन्हें एक गाना सुनाने के लिए कहा। किशोर का गाना सुनने के बाद सहगल ने अशोक कुमार को कहा कि तुम्हारा भाई अच्छा गाता है लेकिन उसमे अंग दोष है। वो गाते हुए हिलता बहुत है।

सहगल के प्रसिद्ध गाने KL Saigal Famous Songs

  • झूलना झुलाओ री – गैर फ़िल्मी गीत Jhulana Jhulao Ri – Non Filmi Song (1930)
  • बालम आये बसो मोरे मन में – देवदास Baalam Aaye Baso Morey Man Mein – Devdas (1935)
  • बाबुल मोरा – स्ट्रीट सिंगर Babul Mora Naihar Chhooto Hi Jaaye – Street Singer (1938)
  • करूँ क्या आस नीरस भई – दुश्मन Karun Kya Aas Niras Bhai – Dushman (1939)
  • सोजा राजकुमारी – ज़िंदगी Soja Rajkumari Soja – Zindagi (1940)
  • दिया जलाओ – तानसेन Diya Jalao – Tansen (1943)
  • मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो – भक्त सूरदास Maiya Mori Main Nahi Maakhan Khayo – Bhakta Surdas (1942)
  • गम दिए मुस्तकिल – शाहजहाँ Gham Diye Mustakil – ShahJahan (1946)
  • जब दिल ही टूट गया – शाहजहाँ Jab Dil Hi Toot Gaya – ShahJahan (1946)
  • मेरे सपनों की रानी रूही – शाहजहाँ Mere Sapnon Ki Rani – ShahJahan (1946)

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This Post Has 3 Comments

  1. Ashok kumar nagar

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