You are currently viewing ‘रामसे ब्रदर्स’ की डर को हर घर तक पहुंचाने की कहानी क्या है – Ramsay Brothers Biography in Hindi
Ramsay Brothers

‘रामसे ब्रदर्स’ की डर को हर घर तक पहुंचाने की कहानी क्या है – Ramsay Brothers Biography in Hindi

Spread the love

‘रामसे ब्रदर्स’ 7 भाई और हॉरर फिल्मों के लिए उनके जुनून और मेहनत की कहानी – Ramsay Brothers History in Hindi

Ramsay Brothers full information in Hindi – हॉरर फिल्मों को भारतीय सिनेमा के हर दौर में पसंद किया गया है। आज के युवा दर्शकों की पसंद रूही और स्त्री जैसे फिल्में हैं, जो निश्चित रूप से दमदार कहानी और कॉमेडी के तड़के के कारण अपेक्षाओं पर खरा उतरी है। 70 और 80 के दशक में सात भाइयों का Horror Movies के क्षेत्र में एकछत्र राज था। दुनियां इन्हे ‘Ramsay Brothers’ के नाम से पहचानती थी।

उनकी फिल्मों को देखने का बाद कई दिनों तक कहानी में दिखाया गया भूत दिमाग से निकलता नहीं था और अँधेरे में आकर डराया करता था। रामसे ब्रदर्स ने अपनी छवि को एक अलग ब्रांड के रूप में प्रस्तुत किया और उनका नाम हॉरर फिल्मों का पर्याय बन गया।

कराची से मुंबई का तक का सफर –

(F.U. Ramsay Full Name) रामसे ब्रदर्स के पिता फतेहचंद रामसिंघानी कराची और लाहौर में रेडियो का व्यापार करते थे। अंग्रेजों को उनका नाम पुकारने में दिक्कत आती थी, इसलिए वे उन्हें रामसे कहकर पुकारते थे। पार्टीशन के समय वे अपने परिवार के साथ मुंबई आ गए और रेडियो तथा गारमेंट्स का व्यवसाय शुरू किया। फतेहचंद नहीं चाहते थे, कि उनके बच्चे भी यही काम करे। उनका सपना था कि उनका परिवार फिल्मों का निर्माण करे।

शुरू में उन्होंने कुछ फिल्मों को फाइनेंस करना शुरू किया और जल्दी ही खुद फिल्में भी बनाने लगे। फतेहचंद ने पाया कि फिल्म से जुड़े टेक्नीशियन और टीम के सदस्य अपनी मनमानी करते हैं और इससे फिल्म का बजट भी बढ़ जाता हैं। इसी के बाद उन्होंने फैसला किया कि वे अपने बेटों को इसकी ट्रेनिंग देना शुरू करेंगे।

कैसे सीखी रामसे ब्रदर्स ने फिल्म बनाने की बारीकियां – Ramsay Brothers Training

अपने परिवार को फिल्म निर्माण की बारीकियां सिखाने के लिए फतेहचंद सभी को 2 महीने के लिए कश्मीर ले गए और एक हॉउसबोट किराये पर ले लिया। वहां वे सातों बेटों को फिल्म निर्माण से जुड़े सभी पहलुओं जैसे निर्देशन, साउंड , एडिटिंग आदि सीखाने लगे। मुंबई वापस आने के बाद उन्होंने बेटों को प्रेक्टिकल ज्ञान देने के लिए सिंधी फिल्म “नकली शान” बनाना शुरू किया। इस फिल्म को सातों भाइयों ने मिलकर बनाया और अपनी योग्यता के अनुसार अपने अपने हिस्से के काम को संभाला।

पहली फिल्म की सफलता – Ramsay Brothers First Horror Movie

रामसे ब्रदर्स ने 1972 में फिल्म ‘दो गज जमीन के नीचे’ बनाई। यह इनकी पहली हॉरर फिल्म थी और दर्शकों को बेहद पसंद आई। फिल्म काफी लो बजट थी और मात्र साढ़े तीन लाख रूपये में बन कर तैयार हो गई। इसे बनाने में 45 दिन का समय लगा था। फिल्म बहुत ही सफल हुई और इसने 50 लाख का व्यवसाय किया। इसके बाद रामसे ब्रदर्स ने फैसला कर लिया कि वे सिर्फ हॉरर फिल्में बनाएंगे।

असली लाश निकल आई ‘दो गज जमीन के नीचे’ से – Do Gaz Zameen Ke Niche

1972 में रिलीज़ हुई ‘दो गज जमीन के नीचे’ के साथ एक बहुत ही दिलचस्प और डरावना किस्सा जुड़ा हुआ है। फिल्म के एक सीन की शूटिंग के लिए रामसे ब्रदर्स अपनी टीम के साथ एक कब्रिस्तान पहुंचे। सीन के अनुसार जमीन में एक खड्डा करना था। चर्च के पादरी की अनुमति लेने के बाद खुदाई शुरू की गई। किसी भी प्रकार के विवाद से बचने के लिए वहां के लोकल लोगों की मदद ली गई और खड्डा खोदना शुरू किया गया। टीम ने खुदाई की जगह का चयन बहुत सोच विचार के किया था, लेकिन तभी सच में खुदाई के स्थान पर एक डेड बॉडी निकल आई। डर के मारे चीख पुकार मच गई और स्थानीय लोगों ने टीम को घेरना शुरू कर दिया। टीम बड़ी मुश्किल से वहां से जान बचाकर भागी।

श्याम रामसे का असली की चुड़ैल से सामना ? Shyam Ramsay and Real Ghost

फतेहचंद रामसे की नातिन अलिशा कृपलानी ने बुक ‘Ghosts in our Backyard’ में बताया कि 1983 में ‘पुराना मंदिर’ की शूटिंग समाप्त होने के बाद डायरेक्टर श्याम रामसे कुछ दिनों के लिए शूटिंग लोकेशन (महाबलेश्वर) पर ही रुक गए। कुछ दिन बिताने के बाद वे मुंबई के लिए अपनी कार से निकले। रात के समय वे अकेले ही ड्राइव कर रहे थे, तभी उन्हें रास्ते में एक बेहद खूबसूरत औरत लिफ्ट मांगती हुई दिखी। उन्होंने कार रोकी और वह औरत आकर कार में आगे वाली सीट पर बैठ गई। रास्ते में श्याम ने उस से बात करने की कोशिश की, लेकिन उसने कुछ भी जवाब नहीं दिया।

तभी श्याम की नजर उस औरत के पैरों पर पड़ी। श्याम के होश उड़ गए, जब उन्होंने उस औरत के मुड़े हुए पांव देखे। उन्होंने जमकर ब्रेक लगाया। उस औरत ने कार का गेट खोला और उतर कर चली गई।श्याम ने वहाँ से गाड़ी भगाई और सीधा मुंबई पहुंचे। इसी सीक्वेंस को बाद में उन्होंने फिल्म ‘वीराना’ में दिखाया। इस घटना की सत्यता को प्रमाणित नहीं किया जा सकता। यहाँ सिर्फ किताब में लिखी हुई बात को बताया गया है।

रामसे ब्रदर्स की फिल्मोग्राफी – Ramsay Brothers Movies List

  • 1972 दो गज जमीन के नीचे – Do Gaz Zameen Ke Niche
  • 1975 अँधेरा – Andhera
  • 1978 दरवाजा – Darwaza
  • 1979 और कौन – Aur Kaun
  • 1980 सबूत – Saboot
  • 1980 गेस्ट हाउस – Guest House
  • 1981 दहशत – Dahshat
  • 1981 सन्नाटा – Sannata
  • 1981 होटल – Hotel
  • 1981 घुँघुरु की आवाज – Ghungroo Ki Awaaz
  • 1984 पुराना मंदिर – Purana Mandir
  • 1985 टेलीफ़ोन -Telephone
  • 1985 3 डी सामरी – 3D Saamri
  • 1986 तहखाना – Tahkhana
  • 1986 ओम – Om
  • 1987 डाक बंगला – Dak Bangla
  • 1988 वीराना – Veerana
  • 1989 पुरानी हवेली – Purani Haveli
  • 1990 बंद दरवाजा – Bandh Darwaza
  • 1991 इंस्पेक्टर धनुष – Inspector Dhanush
  • 1991 अजूबा कुदरत का – Ajooba Kudrat Ka
  • 1994 द मॉन्स्टर – The Monster
  • 1996 तलाशी – Talashi

जी हॉरर शो की शुरुआत – Ramsay Brothers Zee Horror Show

90 के दशक में रामसे ब्रदर्स ने अपनी फिल्मों को दूरदर्शन पर दिखाने की कोशिश की, लेकिन ए सर्टिफिकेट होने के कारण इसकी अनुमति नहीं मिली। इस पर रामसे ब्रदर्स ने ज़ी टीवी को फिल्म के सेटेलाइट अधिकार बेचने की कोशिश की। ज़ी टीवी के संस्थापक Subhash Chandra ने उन्हें ज़ी के लिए हॉरर शो बनाने का ऑफर दिया। इसी के साथ शुरू हुआ जी हॉरर शो का सिलसिला। डर का सफर बड़े पर्दे से छोटे परदे तक जा पहुंचा। सफलता के कीर्तिमान तोड़ता हुआ यह सीरियल साढ़े 7 सालों तक चला। हॉरर फिल्मों की तर्ज पर एक कहानी ढाई घंटे की बनायी जाती जाती थी और 5 हफ़्तों तक दिखाई जाती थी।

पूरे परिवार का टीम वर्क – Ramsay Brothers Names

रामसे की फिल्मों के लिए पसंदीदा लोकेशन महाबलेश्वर हुआ करती थी। पूरा परिवार बस में बैठकर महाबलेश्वर पहुंच जाता था और अनारकली नाम की होटल में रुकता था। फिल्मों का बजट कंट्रोल में रखने के लिए पूरा परिवार फिल्म निर्माण से जुड़े हर काम को खुद करता था। उन लोगों ने अपना काम काबिलियत के अनुसार बाँट रखा था और वे किसी बाहरी आदमी की मदद नहीं लेते थे।

  • कुमार रामसे – स्क्रिप्ट राइटिंग
  • गंगू रामसे – सिनेमेटोग्राफी
  • किरण रामसे – साउंड डिपार्टमेंट
  • केशु रामसे – प्रोडक्शन
  • अर्जुन रामसे – एडिटिंग
  • श्याम रामसे और तुलसी रामसे – डायरेक्शन

इसके अलावा इनके परिवार की महिलाएं और बच्चे भी फिल्म निर्माण में सहयोग दिया करते थे।

भूतों का मेकअप – Make up of Ghosts

आज की तरह उस समय टेक्नोलॉजी इतनी विकसित नहीं थी। बैकग्राउंड म्यूजिक, लोकेशंस और मेकअप की सहायता से सीन को डरावना बनाने की कोशिश की जाती थी। कलाकारों को भूत के रूप में दिखाने के लिए मेकअप में 6-8 घंटों का समय लगता था। ज्यादार फिल्मों में अनिरुद्ध अग्रवाल भूत बनते थे। फिल्म से दर्शकों को बांधे रखने के लिए बोल्ड और हिंसक सीन डाले जाते थे, जिसके वजह से फिल्मों को ए सर्टिफिकेट मिलता था।

नए कलाकारों को प्राथमिकता –

फिल्म को लो बजट रखने के लिए रामसे ब्रदर्स नए कलाकारों को फिल्म में काम दिया करते थे। अक्सर उनसे डिस्ट्रीब्यूटर पूछते कि बिना बड़े स्टार्स के आप इतना पैसा क्योँ मांग रहे हैं, तो वे कहते थे कि एक रील देखने के बाद फैसला कीजिये। एक रील देखने के बाद डिस्ट्रीब्यूटर मुंहमांगी कीमत देने के लिए तैयार हो जाते थे।

रामसे ब्रदर्स पर वेब सीरीज़ और बायोपिक – Ramsay Brothers Biopic

रामसे ब्रदर्स पर भविष्य में वेब सीरीज या फिल्म बन सकती है। अजय देवगन ने रामसे ब्रदर्स के बायोपिक के अधिकार खरीदे हैं। फिल्म या वेब सीरीज कब तक बनेगी, इसकी कोई जानकारी नहीं है।

Read this –

मानव कौल: नर्मदा से सिक्के निकालने से लेकर अभिनेता बनने तक का सफर

कैसे खूबसूरत लड़की को देखकर आनंद बक्शी ने लिखा “रूप तेरा मस्ताना” ?

Leave a Reply