एक कलाकार को अपनी कलाकृति की प्रेरणा कहीं से भी मिल सकती हैं। मशहूर गीतकार Anand Bakshi ने ऐसे कई कालजयी गीतों को लिखा है, जो आज कई सालों के बाद आज भी संगीत प्रेमियों के द्वारा पसंद किये जाते हैं। भारतीय फ़िल्मी संगीत की दुनिया में ये गीत अमर हो चुके हैं। आनंद बक्शी उन चंद गीतकारों में से एक हैं, जिनके गीत उनके जीवन में बीते हुए छोटे छोटे लेकिन अविस्मरणीय घटनाक्रमों से प्रेरित हैं। आइये जानते हैं कुछ ऐसे ही गीतों और उनसे जुडी घटनाओं के बारे में।
कैसे लिखा “रूप तेरा मस्ताना” ? Anand Bakshi Songs
फिल्म आराधना के सुपरहिट गीत रूप तेरा मस्ताना से जुडी एक बहुत ही रोचक कहानी है। Anand Bakshi एक बार अपने एक मित्र हरी मेहरा के साथ पान खाने निकले। पान खाकर लौटते समय दोनों को एक खूबसूरत लड़की दिखी। उसे देख बक्शी साहब के मित्र के मुँह से निकल पड़ा, “वाह क्या रूप पाया हैं।” आनंद बक्शी ने अचानक कार को एक गुलमोहर के पेड़ के नीचे रोक दिया और हरी मेहरा को कहा कि 10 मिनट के लिए उनको डिस्टर्ब मत करना और कागज पर कुछ लिखने लग गए।
10 मिनट के बाद वे वापस कार में बैठे और घर के लिए निकल गए। रास्ते में हरी मेहरा ने उनसे बहुत पूछा कि वे पेड़ के नीचे क्या कर रहे थे, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं बताया। कुछ दिनों बाद फिल्म आराधना रिलीज़ हुई और दोनों दोस्त पास के एक थिएटर में उसे देखने गए। जैसे ही ‘Roop Tera Mastana’ गीत परदे पर दिखा, आनंद बक्शी ने अपने मित्र को कहा कि उस दिन गुलमोहर के पेड़ के नीचे मैं यही गीत लिख रहा था।
बक्शी साहब के मित्र ये जानकार दंग रह गए कि कैसे सड़क पर एक लड़की की खूबसूरती देखकर आनंद बक्शी ने इस सुपरहिट गीत को लिख दिया।
कैसे आईडिया आया ‘Chingari Koi Bhadke’ का ? Anand Bakshi Songs
एक बार मुंबई के होटल सन एंड सैंड में फ़िल्मी पार्टी चल रही थी, जिसमे Anand Bakshi, मशहूर निर्माता निर्देशक शक्ति सामंत और संगीतकार राहुल देव बर्मन भी शामिल थे। पार्टी खत्म होने के बाद तीनों घर जाने के लिए निकले और होटल की पार्किंग से अपनी कारों के निकलने का इंतजार करने लगे।
तभी बारिश शुरू हो गई। अपनी कार का इन्तजार करते आनंद बक्शी ने सिगरेट निकली और सुलगा ली। जलती हुई तीली को उन्होंने बारिश में फेंक दिया और बारिश की बूंदे पड़ते ही तीली बुझ गई। आनंद बक्शी के दिमाग में उसी समय ये पंक्तियाँ आ गई, “चिंगारी कोई भड़के तो सावन उसे बुझाये, सावन जो अगन लगाए उसे कौन बुझाये। “
उन्होंने तुरंत ये पंक्तियाँ शक्ति सामंत को सुनाई और शक्ति ने इसे अपनी अगली फिल्म में लेने का फैसला कर दिया। इस प्रकार अमर प्रेम फिल्म के इस कालजयी गीत का निर्माण हुआ।
मुबारक हो सबको समां ये सुहाना – Mubarak Ho Sabko Sama Ye Suhana
एक बार आनंद बक्शी, लक्ष्मीकांत और प्यारेलाल मुंबई के कारदार स्टूडियो से एक तमिल फिल्म का ट्रायल देख कर निकले। तीनों बहुत खुश थे, क्योँकि बहुत जल्दी इस फिल्म का रीमेक हिंदी में “मिलन” के नाम से बनने वाला था और इस फिल्म में ये तिकड़ी काम करने वाली थी। स्टूडियो से निकल कर तीनो खार स्टेशन के पास एक पान की गुमटी पर रुके। नई फिल्म को लेकर आनंद बक्शी बहुत उत्साहित और भावुक थे। उनके मुँह से निकल गया, “ मुबारक हो सबको समां ये सुहाना, मैं खुश हूँ मेरे आंसुओं पे न जाना “
लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने तुरंत कहा कि यह तो किसी गीत का मुखड़ा लगता है, इसे नई फिल्म में लेना चाहिए। इस के बाद गीत को मिलन फिल्म में लिया गया। मुकेश की सुरीली आवाज में यह गाना सुनील दत्त पर फिल्माया गया। मानव कौल : कश्मीरी पंडित के नेशनल लेवल स्विमर से लेकर बेहतरीन अभिनेता, निर्देशक और लेखक बनने तक का सफर
Shandar