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Pran Sikand Biography

प्राण: सिनेमा के सबसे खतरनाक विलेन, जिनका नाम बच्चों को नहीं दिया जाता था Pran Sikand Biography in Hindi

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Pran Sikand Biography – यूं तो फिल्म जगत में कई बड़े – बड़े कलाकार हुए, लेकिन आज हम बात करेंगे एक ऐसे कलाकार की, जिन्हें हीरो के नहीं बल्कि विलेन के किरदार के लिए जाना जाता है। उनका नाम है प्राण कृष्ण सिकंद जिन्होंने अपने किरदारों को कुछ इस तरह जिया, कि वो आज भी हमारे जेहन में हैं। प्राण को अपने नाकारात्मक किरदारों की वजह से काफ़ी प्रसिद्धि मिली।

1940 में अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत करने वाले प्राण अपने 60 साल के करियर में काफ़ी सारे सुपरहिट फिल्मों में काम कर चुके हैं। जिस देश में गंगा बहती है, शहीद, उपकार, जॉनी मेरा नाम, राम और श्याम, अमर अकबर एंथनी जैसी न जाने कितने सुपरहिट फिल्मों में काम कर चुके प्राण को कई अवॉर्ड्स से भी सम्मानित किया गया। हिंदी फिल्मों में उनका योगदान काफ़ी बड़ा है।

प्राण का प्रारंभिक जीवन Pran Early Life

प्राण कृष्ण सिकंद का जन्म 12 फरवरी,1920 में दिल्ली में हुआ था। वो एक पंजाबी परिवार में जन्में थे। उनके पिता का नाम केवल कृष्ण सिकंद था और वो पेशे से सरकारी ठेकेदार थे। प्राण की माता का नाम रामेश्वरी था। प्राण के पिता के बार बार तबादला होने के कारण उनकी पढ़ाई कपूरथला, देहरादून, मेरठ और रामपुर में पूरी हुई थी। जिसके बाद उन्होंने एक फोटग्राफर के तौर पर अपने करियर की शुरूआत की। बंटवारे के समय वे आज के पाकिस्तान में स्थित लाहौर से भारत लौट आए थे।

प्राण के फिल्मों में शुरूआती सफ़र Pran Sikand Biography

शुरुआत में प्राण को कुछ ख़ास सफलता नहीं मिली थी। उन्होंने अपने फ़िल्मी सफर की शुरुआत 1940 में बनी एक पंजाबी फिल्म यमला जट से की थी, जिसमे एक्ट्रेस नूरजंहा को उनके साथ मुख्य भूमिका में देखा गया था। 1941 में प्राण चौधरी और खजाकी जैसी फिल्मों में छोटे छोटे किरदार निभाते नज़र आए थे।

1942 में जाकर प्राण को पहली हिंदी फिल्म खानदान मिली। जिसमें उन्होंने एक रोमंटिक हीरो का रोल मिला था। इस फिल्म को दर्शकों ने भी काफ़ी पसंद किया था। 1942 से 1946 के बीच में प्राण को कैसा खून और खामोश निगाहें सहित 22 फिल्मों में अपना अभिनय दिखाने का मौका मिल चुका था ।1947 में विभाजन के कारण प्राण के करियर को कुछ समय के विराम लग गया था, जिसके बाद वो लाहौर छोड़ बॉम्बे आ गए थे।

सफल खलनायक बनने का सफ़र Pran Villain 

भले ही प्राण को शुरूआती करियर में परेशानी हुई हो, लेकिन साल 1948 में आखिरकार अपनी कला सिल्वर स्क्रीन पर बहुत ही खूबसूरती से उतारने का अवसर मिल गया। उन्हें शाहिद लतीफ़ की फिल्म जिद्दी में एक विलेन का रोल निभाने का मौका मिला, जिससे उन्हें हिंदी सिनेमा में पहचान मिली। इस फिल्म के मुख्य किरदार में देवानंद और कामिनी कौशल थे। प्राण को इस किरदार से काफ़ी लोकप्रियता मिली।

इसके बाद प्राण ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा और उनके फिल्मी करियर ने तो जैसे स्पीड ही पकड़ ली हो। फ़िल्म जिद्दी के सफ़ल होते ही उन्हें तीन फिल्में गृहस्थी, अपराधी और पुतली भी मिल गई। अब प्राण को जितने भी किरदारो के लिए चुना जाता था, वह अक्सर नकारात्मक ही होते। थे। उनकी जोड़ी अक्सर देवानंद, राज कपूर और दिलीप कुमार के साथ देखने को मिलती थी।

प्रमुख फिल्म स्टार्स के साथ काम Pran with Stars

1950 से 1960 के दशक की बात करे तो प्राण ने कई फिल्में जैसे कि मधुमति, आज़ाद, देवदास, आदमी, छलिया, दिल दिया दर्द लिया, आह और उपकार जैसी न जाने कितने फिल्मों में अपने अभिनय के दम पर दर्शकों का दिल जीता। 1970 से 1982 तक प्राण काफ़ी पसंद किए जाने लगे थे, जिसकी वजह से उन्हें सबसे ज्यादा पैसा दिया जाता था।

1960 के दशक में उन्होंने शम्मी कपूर और जॉय मुखर्जी की बहुत सी फिल्मों में बतौर विलेन काम किया। कश्मीर की कली, ब्रह्मचारी और राजकुमार कुछ ऐसी ही फिल्में हैं।

1972 में फिल्म जंगल में मंगल, 1973 में धर्म और 1978 में फिल्म राहु केतु में मुख्य भूमिका निभाई। प्राण ने राजेश खन्ना के साथ कुल पांच फिल्में की।

प्राण एक चरित्र अभिनेता Pran Sikand Biography

1973 में प्राण और अमिताभ फिल्म जंजीर में साथ नज़र आए और यह फिल्म भी सुपरहिट साबित हुई। इस फिल्म में प्राण का रोल कुछ पॉजिटिव था। इस समय तक प्राण ने चरित्र किरदार निभाने शुरू कर दिए। अमर अकबर एन्थोनी, उपकार और कर्ज जैसी फिल्मों में इन्होने बहुत से पॉजिटिव किरदार निभाए।

अपने पूरी फिल्मी करियर में उन्होंने एक से बढ़कर एक ही फिल्मों में काम किया। साल 1988 में प्राण को पहला दिल का दौरा पड़ा, जिसकी वजह से वो फिल्मों ने दिखना कम हो गए और 12 जुलाई 2013 में उनका देहांत हो गया।

प्राण का परिवार Pran Family

प्राण ने 1945 में शुक्ला अलुवालिया से शादी की थी। प्राण के दो बेटे अरविंद सिकंद और सुनील सिकंद हुए और एक बेटी पिंकी सिकंद हुई। प्राण कृष्ण सिकंद ऑनस्क्रीन अपने किरदारों में जितने कठोर थे, अपने निजी जीवन में वह उतने ही उदार थे।

प्राण ने नाम का प्रभाव

प्राण अपने हाव भावों और एक्टिंग से परदे पर कुछ ऐसा प्रभाव पैदा करते थे कि लोग उन्हें सच में बुरा आदमी मानने लग जाते थे। जिस दौर में उनकी खलनायकी अपने चरम पर थी, लोगों ने अपने बच्चों का नाम प्राण रखना बंद कर दिया था। उस दौर में पैदा हुए शायद ही किसी बच्चे का नाम प्राण रखा गया था।

फिल्मों के टाइटल्स में प्राण का नाम Pran’s Name in Film Title

प्राण की फिल्मों में एक और ख़ास बात हुआ करती थी। फिल्म की शुरुआत में आने वाले एक्टर्स के नामों में प्राण साहब का नाम सबसे आखिरी में दिखाया जाता था, वो भी एक विशेष अंदाज में। सभी कलाकारों के नाम आ जाने के बाद उनका नाम “& Pran” लिखकर दिखाया जाता था। शायद इसके जरिये एक सन्देश यह भी होता था कि इस खलनायक की अहमियत फिल्म में नायक से कम नहीं है।

प्राण को मिले अवार्ड्स

प्राण कृष्ण सिकंद को अपने अभिनय के बलबूते पर 30 से भी अधिक अवार्ड्स से सम्मानित किया गया। वर्ष 2000 में प्राण को ‘विलेन ऑफ़ द मिलेनियम‘ अवार्ड से नवाजा गया। यह अवार्ड स्टार डस्ट की ओर से दिया गया था। हिंदी सिनेमा में दिए गए योगदान के लिए उन्हें 2001 में पदमा भूषण अवॉर्ड और 2013 में दादासाहेब फाल्के अवार्ड्स दिया गया।

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