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Slow poison to Lata Mangeshkar

कैसे वो लता मंगेशकर को मौत के मुंह में धकेल रहा था ? Slow Poison to Lata Mangeshkar in Hindi

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Slow Poison to Lata Mangeshkar – 1960 के दशक में स्वर कोकिला लता मंगेशकर अपने कॅरियर के चरम पर थीं। हर म्यूजिक डायरेक्टर उनकी मधुर आवाज से अपने फिल्म के गीतों को सजाना चाहता था। उनकी आवाज हिंदुस्तान के हर कोने में रेडियो के माध्यम से पहुँचती थी। ऐसे में शोहरत की बुलंदियों पर पहुंची लता के करोड़ों फैंस के बीच कुछ दुश्मन भी पैदा होने लगे, जो शायद उनकी मधुर आवाज को हमेशा के लिए ख़त्म कर देना चाहते थे। कारण चाहे जो भी रहा हो, लेकिन यह सच है कि लता मंगेशकर को उस समय जान से मारने की साजिश की गई।

क्यों हुई लता जी की तबियत खराब Slow Poison to Lata Mangeshkar

वर्ष 1962 में एक दिन लता जी रोज की तरह सुबह उठी तो उन्हें कुछ बैचेनी हुई। उन्हें कमजोरी महसूस हो रही थी और अचानक उल्टियां होने लगी। यह देख कर सब घबरा गए कि लता जी हरे रंग की उल्टियां कर रही थी। इसके तुरंत बाद वे बेहोश हो गईं। तुरंत डॉक्टर को बुलाया गया। डॉक्टर ने उनका चेकअप किया, लेकिन जब इसका कारण बताया तो सभी दंग रह गए। डॉक्टर ने बताया कि लता जी को स्लो पॉइज़न यानी धीमा जहर दिया जा रहा था, जो धीरे धीरे अपना असर दिखते हुए उन्हें मौत के करीब ले जा रहा था।

पोल खुलते देख वो भाग गया Slow Poison to Lata Mangeshkar

इसी बीच एक और अजीब घटना घटी। जैसे ही लता जी बीमार हुई, उनका रसोइया घर से भाग गया। उसने भागने की जल्दी में अपना बकाया पेमेंट तक नहीं लिया। डॉक्टरों द्वारा कही गई जहर वाली बात सही साबित हुई। रसोइया उनके खाने में जहर मिला रहा था और शायद इसी वजह से पोल खुलते देख वह भाग गया।

लता मंगेशकर की बहन ने संभाली घर की कमान Lata Mangeshkar and Usha Mangeshkar

Slow Poison to Lata Mangeshkar -इसके बाद लता जी की बहन Usha Mangeshkar ने तुरंत यह निर्णय लिया कि अब से लता जी का खाना वे स्वयं बनाएंगी। उषा जी ने रसोई की कमान संभाल ली। डॉक्टरों ने लता जी को काम छोड़ कर आराम करने के लिए कहा। लता जी अगले तीन महीनों तक बेड रेस्ट पर रहीं और एक भी गाना रिकॉर्ड नहीं कर पाई। लता जी ने एक बार बताया कि उन्हें लगता था कि वे अब कभी नहीं गा पाएंगी।

मजरूह सुल्तानपुरी ने कैसे दिया साथ Lata Mangeshkar and Majrooh Sultanpuri

Slow Poison to Lata Mangeshkar – लता जी को ठीक होने में तीन महीने का समय लगा। यह समय और भी ज्यादा हो सकता था, लेकिन लता जी के दोस्त और मशहूर गीतकार मज़रूह सुल्तानपुरी (Majrooh Sultanpuri) ने ऐसे समय में उनका साथ दिया। वे प्रतिदिन काम खत्म करके लता जी के पास आते। उन्हें किस्से, कहानियां और कविताएं सुनाते। उनका ख्याल रखते और लता जी को दिया जाने वाला सादा खाना उनके साथ खाते। एक सच्चे दोस्त के प्रयासों से लता जी समय से पहले ठीक हो गईं।

लता जी का कमबैक Lata Mangeshkar’s Come Back after Recovery

Slow Poison to Lata Mangeshkar -लता जी के बेड रेस्ट के चलते बहुत से फिल्मों की टाइमलाइन्स प्रभावित होने लगी। वे रिकॉर्डिंग पर नहीं जा सकती थीं और म्यूजिक डायरेक्टर उनके ठीक होने का इन्तजार कर रहे थे। उन दिनों हेमंत कुमार फिल्म ‘बीस साल बाद’ बना रहे थे। फिल्म के म्यूजिक डायरेक्टर और प्रोड्यूसर हेमंत कुमार (Hemant Kumar) स्वयं थे। तीन महीने बाद जब लता जी थोड़ी सही हुई, तो एक दिन हेमंत कुमार उनके घर पहुंचे और लता जी की माँ से लता जी को रिकॉर्डिंग पर भेजने का निवेदन किया। उन्होंने आश्वासन दिया कि अगर लता जी को थोड़ा सा भी असहज महसूस हुआ तो वे खुद उन्हें वापस घर छोड़ने आएंगे।

इसी के साथ हेमंत कुमार ने लता मंगेशकर के ठीक होने के बाद उनके साथ पहला गीत रिकॉर्ड किया। गीत के बोल थे, ‘कहीं दीप जले कहीं दिल ‘ । गीत सुपरहिट हुआ और इसके लिए शकील बदायूंनी को सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फिल्मफेयर अवार्ड मिला।

लता जी एक इंटरव्यू में बताया कि उन्हें पता चल गया था कि साजिश के पीछे किसका हाथ था और रसोइया किसके इशारे पर उन्हें जहर दे रहा था। लेकिन उन्होंने कभी उस इंसान का नाम सार्वजानिक नहीं किया क्योंकि उनके पास कोई सबूत नहीं था।

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  1. Anonymous

    Very nice

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