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Kuttey Review

‘कुत्ते’ फिल्म: करोड़ों का कैश, गालियां, गोलियां और लालची इंसानी फितरत की कहानी | Kuttey Review, Story and Star Cast in Hindi

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कुत्ते मूवी स्टार कास्ट Kuttey Star Cast

  • निर्देशक: आसमान भारद्वाज (Aasmaan Bhardwaj)
  • कलाकार: अर्जुन कपूर (Arjun Kapoor),राधिका मदान (Radhika Madan), तब्बू (Tabu), शार्दुल भारद्वाज (Shardul Bharadwaj), नसीरुद्दीन शाह (Naseeruddin Shah), कोंकोना सेन (Konkona Sen),आशीष विद्द्यार्थी (Ashish Vidyarthi), कुमुद मिश्रा (Kumud Mishra)

कुत्ते फिल्म की कहानी हिंदी में Kuttey Story In Hindi

Kuttey Review – फिल्म की कहानी है मुंबई के तीन Groups की, जो एक दूसरे से अनजान करोड़ों के कैश के पीछे पड़े होते हैं। कहानी शुरू होती है, नक्सली ग्रुप की लीडर लक्ष्मी (Konkona Sen) से, जिसे पुलिस ने पकड़ रखा होता है।

पुलिस इंस्पेक्टर पाजी (कुमुद मिश्रा) उससे पूछता है कि वो लोगो को क्यों मारती है? लक्ष्मी जवाब देती है कि  उसकी लड़ाई इस सिस्टम से है जिसने उसे प्रताड़ना दी है। तभी पाजी का सीनियर ऑफिसर आ जाता है और लक्ष्मी के साथ गलत काम करने की कोशिश करता है। लक्ष्मी का गैंग आकार उसे बचा ले जाता है और जाने से पहले स्टेशन में पाजी को छोड़ सबको मार देता है।

अब सीन 13 साल आगे बढ़ता है और पाजी और उसका सीनियर इंस्पेक्टर गोपाल (Arjun Kapoor) दोनो ही करप्ट ऑफिसर बन जाते हैं,जो की एक ड्रग मामले में सस्पेंड चल रहे हैं। बेबस होकर वो सीनियर ऑफिसर पम्मी (Kumud mishra) के पास जाते हैं, ताकि वो उनका सस्पेंशन रुकवा दे। लेकिन इसके बदले उन्हें दो करोड़ का इंतजाम करना होता है।

इसके बाद शुरू होता है असली खेल। शहर में एक वैन करोड़ों रुपयों को एटीएम में डालने जा रही होती है,जिसे गोपाल लूटने का प्लान बनाता है। पर वो अकेला उन पैसों के पीछे नहीं था। शहर में दो गिरोह और थे जो इन पैसों के पीछे थे।

सबका अपना अपना मकसद है, जिसे पूरा करने के लिए तीनो आपस में ही भिड़ जाते हैं और शुरू होता है कुत्तों का एक ही हड्डी के पीछे भागना। इसमें गोलियां भी चलती हैं, हत्यायें भी होती है और विश्वासघात भी।

कुत्ते फिल्म रिव्यू Kuttey Review In Hindi

कुत्ते 13 जनवरी को सिनेमा घरों में रिलीज कर दी गई थी। फिल्म में कुत्ते शब्द को इंसानी फितरत को परिभाषित करने के लिए इस्तेमाल किया गया है। डायरेक्टर के तौर पर आसमान भारद्वाज की ये पहली फिल्म है। अपने आप को साबित करना उनके लिए जरूरी था और इसके लिए उन्होंने अच्छा काम भी अच्छा किया ही है।

आसमान विशाल भारद्वाज के बेटे हैं जिन्होंने 2009 में फिल्म ‘कमीने’ बनाई थी। फिल्म में भर भर के गालियां और गोलियां दोनो ही देखने को मिलती है। फिल्म का पेस काफी फास्ट है, जिसके कारण किरदारों को  डिवेलप होने का समय नहीं मिलता है और दर्शक किरदारों से अटैच नहीं हो पाते। फिल्म एक दम कट टू कट है और कही पर भी स्लो नही है। पहले हाफ में आपको ये फिल्म थोड़ी बोर कर देगी।

बात करें फिल्म के कास्ट की तो लिस्ट काफ़ी लंबी है और सभी कलाकार मंझे हुए हैं। नसीरूद्दीन शाह और कुमुद मिश्रा जैसे कलाकारों ने अपने किरदारों के साथ न्याय किया है। तब्बू का काम तो हमेशा ही अच्छा होता है।अर्जुन कपूर ने भी इस फिल्म में अच्छी एक्टिंग की है। राधिका मदान और कोंकणा सेन ने भी ठीक काम किया है।

फिल्म में कई ऐसी कमियां है जो इसे कही न कही पीछे खींचती हैं। तब्बू के किरदार को गालियां देते दिखाया है, जो कहीं भी जंच नहीं रहा। किसी भी किरदार को कभी भी मात दी जा रही है, बिना किसी कॉन्टेक्स्ट के। ओवरआल फिल्म की कहानी अच्छी है लेकिन इसका ऑन स्क्रीन एक्ससिक्यूशन थोड़ा बेहतर हो सकता था।

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