शशि कपूर पहुंचे ‘कश्मीर की कली’ के सेट पर
Sharmila Tagore had a Crush on Shashi Kapoor – फिल्म अभिनेत्री शर्मिला टैगोर ने हिंदी फिल्मों में अपना डेब्यू फिल्म ‘कश्मीर की कली’ से किया था। बहुत कम लोगों को पता है कि शर्मिला उस समय अपनी फिल्म के हीरो शम्मी कपूर के छोटे भाई शशि कपूर पर फ़िदा थीं। शशि कपूर की फिल्म ‘प्रेम पत्र’ 1962 में रिलीज़ हुई थी। शर्मीला टैगोर ने यह फिल्म कलकत्ता में देखी थी और तभी से वे शशि कपूर की जबरदस्त फैन हो गई थीं और तीन रात तक सो नहीं पाईं।
कश्मीर की कली की शूटिंग के दौरान ‘इशारों इशारों में’ गीत की शूटिंग चल रही थी, कि तभी सेट पर शम्मी कपूर से मिलने उनके छोटे भाई शशि कपूर आ पहुंचे। अपने ड्रीम बॉय को सामने देखते ही शर्मिला टैगोर होश खो बैठी। उनका दिल तेजी से धड़कने लगा। फिल्म के निर्देशक शक्ति सामंत ने जब यह देखा तो उन्होंने शर्मिला को उनके निक नेम से बुलाते हुए कहा “चलो रिकू, काम पर ध्यान दो। ” लेकिन शर्मिला टैगोर काम पर फोकस ही नहीं कर पा रही थीं, जिसके चलते थोड़ी देर के लिए शूटिंग रुक गई।
शक्ति सामंत को सारा माजरा समझ में आ गया। वे समझ गए कि जब तक शशि सेट पर हैं, शर्मिला काम नहीं कर पाएगीं और शूटिंग दोबारा शुरू नहीं होगी। उन्होंने शशि कपूर से कहा ” शशि प्लीज सेट से निकलो ताकि रिकू काम कर पाए।
शशि कपूर और शर्मिला टैगोर की फिल्में Shashi Kapoor and Sharmila Tagore Movies
आगे चल कर शर्मिला टैगोर को शशि कपूर के साथ काम करने का मौका मिला और दोनों ने वक्त, आ गले लग जा, आमने सामने और माय लव जैसी फिल्मों में साथ काम किया।
शशि कपूर और पृथ्वीराज कपूर और पीठ का दर्द Shashi Kapoor and Prithviraj Kapoor
बात उन दिनों की है जब शशि कपूर अभिनय की बारीकियां सीख रहे थे। वे अपने पिता पृथ्वीराज कपूर के साथ थिएटर में काम किया करते थे। इसी दौरान उनकी पीठ पर एक फोड़ा हो गया। तकलीफ इतनी बढ़ गई कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। कुछ दिनों में वे अस्पताल से डिस्चार्ज हो कर घर आ गए। फोड़ा और उसका घाव तो ठीक हो गया, लेकिन अक्सर उन्हें उस स्थान पर दर्द होने लगता।
एक रात वे दर्द के मारे तड़प रहे थे। पास वाले कमरे में पिता ने जब शशि की दर्द से कराहने की आवाज सुनी, तो दौड़ते हुए शशि के कमरे में आ गए। लेकिन तभी वे जितनी तेजी से आये, उतनी ही तेजी से कमरे से वापस बाहर निकल गए। थोड़ी देर में दोबारा कमरे में आये तो उनके हाथ में एक शीशा था। उन्होंने शशि कपूर को शीशे में उनका चेहरा दिखाते हुई कहा कि इस दर्द को एक अवसर की तरह लो। दर्द के कारण चेहरे पर आये अपने भावों को अच्छी तरह देख लो। बाद में यही भाव तुम्हें एक अच्छा कलाकार बनने में मदद करेंगे।
शशि कपूर ने दर्द की इन्हीं भावों को 1979 में रिलीज़ हुई फिल्म सुहाग के उस सीन में बखूबी उकेरा, जिसमें उनके निभाए किरदार की आँखों की रोशनी चली जाती है।
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