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Evolution of Bollywood Music

के एल सहगल से लेकर हनी सिंह तक ऐसा रहा बॉलीवुड का म्यूजिकल सफर |Evolution of Bollywood Music in Hindi

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Evolution of Bollywood Music इंडियन सिनेमा और इंडियन म्यूजिक का क्रेज फैंस के सिर चढ़के बोलता है। सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों तक इंडियन म्यूजिक मशहूर है। संगीत उन स्तंभों में से एक है जिन पर बॉलीवुड फिल्मों की इमारत टिकी हुई है। इन वर्षों में हिंदी सिनेमा फिल्मों में संगीत का जबरदस्त विकास हुआ है। 30 और 40 के दशक में के एल सहगल के “जब दिल ही टूट गया” से लेकर 2000 के दशक में हिमेश रेशमिया के “आशिक बनाया आपने” जैसे गानों ने धूम मचा रखी है।

1930 का दशक और बॉलीवुड के संगीतमय सफर की शुरुआत Bollywood Music in 30’s

इंडियन सिनेमा में सबसे पहले बॉलीवुड संगीत का जन्म 1931 में अर्देशिर ईरानी द्वारा भारत की पहली ध्वनि गति फिल्म ‘आलम आरा’ (Alam Ara) के आगमन के साथ हुआ था, जिसमें सात गाने थे। इस दौरान ही बॉलीवुड में संगीत के बीज बोये गए।

1930 के दशक में जब भारतीय सिनेमा में संगीत की शुरुआत हुई तो एक्टर ही गाने गाया करते थे। डायरेक्टर एक बार एक्टिंग के साथ कोम्प्रोमाईज़ कर लिया करते थे, लेकिन एक्टर ऐसा चाहिए होता था, जो सिंगिंग अच्छी करता हो। इसी काल खंड में कुंदन लाल सहगल (Kundal Lal Saigal) की प्रतिभा से दुनिया रूबरू हुई।

1940 का दशक Bollywood Music in 40’s

1940 के दशक में उस युग के दिग्गजों में मदन, अनिल बिस्वास, हेमंत मुखर्जी, नौशाद और गुलाम हैदर जैसे संगीतकार और नूरजहाँ, मुकेश, मोहम्मद रफ़ी, गीता दत्त, लता मंगेशकर और शमशाद बेगम जैसे गायकों ने अपने संगीतमय सफर का शुभारंभ किया। 1947 में कुछ सुरीले फनकार फिल्मों से दूर हो गए। जहाँ सहगल साहब की शराब की लत के चलते मृत्यु हो गई, वहीं नूरजहाँ बँटवारे के बाद पाकिस्तान चली गई। के.एल. सहगल : भारतीय सिनेमा के तानसेन जिन्हें शराब पी गई

1950 का दशक Bollywood Music in 50’s

50 के दशक में बॉलीवुड के संगीत ने सचिन देव बर्मन और ओपी नैयर जैसे कई शानदार संगीतकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला। साथ ही, शास्त्रीय संगीत-आधारित गीतों से संगीत बनाने में एक अलग बदलाव आया। धीरे-धीरे वेस्टर्न कल्चर ज़्यदा पॉपुलर हो गया। गिटार, हारमोनियम, तुरही और सैक्सोफोन जैसे ऑर्केस्ट्रा-शैली के वाद्य यंत्रों ने रिकॉर्डिंग स्टूडियो में अपनी एंट्री की।

शंकर-जयकिशन जैसे बेहतरीन संगीतकारों ने कुछ सबसे मधुर धुनें गढ़ी हैं जिन्हें आज भी सराहा जाता है। इसी दौर में प्ले बैक रिकॉर्डिंग की शुरुआत हुई।

इसी दशक में आशा भोंसले के करियर ने उड़ान भरी। यही वह समय था जब किशोर कुमार ने अपने संगीत करियर की शुरुआत की। जहाँ एक और मेलोडियस गानों के लिए रफ़ी साहब पहली पसंद हुआ करते थे, वहीँ मस्ती भरे गानों के लिए किशोर कुमार और शास्त्रीय संगीत पर आधारित गानों के लिए मन्ना डे से बेहतरीन कोई विकल्प नहीं हुआ करता था। किशोर कुमार की बायोग्राफी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये।

मुकेश का एक अलग अंदाज हुआ करता था। जीवन का दर्द और दर्शन बताते उनके कालजयी गीत आज भी उतने ही खूबसूरत लगते है। शायद यही कारण था कि वे राज कपूर की पहली पसंद हुआ करते थे।

1960 का दशक Bollywood Music in 60’s

1960 का दशक पूरी तरह मोहम्मद रफ़ी और लता मंगेशकर के नाम रहा। ज्यादातर हिट फिल्मों में रफ़ी साहब की मखमली आवाज सुनाई देती थी। इस दौर के अभिनेता राजेंद्र कुमार, शम्मी कपूर, शशि कपूर, धर्मेंद्र और मनोज कुमार के लिए ज्यादातर गाने रफ़ी साहब ने ही गाये। रफ़ी साहब का फन कुछ ऐसा था, कि जिस कलाकार के लिए गाते, उसी की शैली में खुद को रिकॉर्डिंग के दौरान ढाल लेते। क्या हुआ जब शम्मी की गैर मौजूदगी में 1 गाना हो गया रिकॉर्ड ?

इसी दौर में शंकर जयकिशन और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल जैसे मधुर संगीतकारों ने एक से बढ़कर एक शानदार फिल्मों में संगीत दिया। अगर टैलेंटेड म्यूजिक डायरेक्टर आर डी बर्मन का जिक्र न हो तो इस दशक की बात अधूरी लगती है। अपने वेस्टर्न अंदाज़ के संगीत से उन्होंने संगीत प्रेमियों के दिल में ख़ास जगह बनाई। एक और सुरीली आवाज महेंद्र कपूर की थी, जिन्होंने इस दशक में अपनी खूबसूरत आवाज का जादू बिखेरा। क्यों राज कपूर ने जलाया अपना हाथ महेंद्र कपूर के लिए ?

1970 का दशक Bollywood Music in 70’s

1970 का दशक आते आते किशोर दा की आवाज कुछ इस कदर हसीन होती गई, कि वे यूथ की पहली पसंद बन गई। उनका ‘युडलई’ स्टाइल लोगो को बहुत पसंद आने लगा। राजेश खन्ना और अमिताभ पर फिल्माए गए उनके गाने आज भी रेडियो पर अपना जादू बिखेरते हैं। आर डी बर्मन यानि पंचम का जादू इस दशक में भी बरकरार रहा।

1980 का दशक Bollywood Music in 80’s

80 के दशक में, बप्पी लाहिड़ी और मिथुन चक्रवर्ती की बदौलत डिस्को संगीत ने एक बड़ी पॉपुलैरिटी प्राप्त की। उस समय गाने मधुर धुनों से लेकर तेज-तर्रार रॉक शैली की धुनों तक जाते थे। “कभी दूर जब दिन ढल जाए” जैसे खूबसूरत गीत “आई ऍम ए डिस्को डांसर” में बदल गए। इसी दशक में आज के जाने माने संगीतकार अनु मलिक ने भी अपने करियर की शुरुआत की, हालाँकि उन्हें कुछ ख़ास कामयाबी तो नहीं मिली।

1990 का दशक Bollywood Music in 90’s

90 का दशक एक निराशाजनक दशक रहा, जब बहुत ही कम यादगार गीतों का निर्माण किया। शायद इसलिए क्योंकि संगीतकार भारतीय और पश्चिमी संगीत के बीच संतुलन खोजने की कोशिश कर रहे थे। फिर भी 90 के दशक के ए.आर. रहमान आधुनिक युग के सबसे प्रसिद्ध भारतीय संगीतकारों में से एक है। इसी दौर की एक बहुत ही सफल संगीतकार जोड़ी थी ‘नदीम -श्रवण ‘ की।

इस जोड़ी ने एक से बढ़कर एक खूबसूरत मेलॉडी सांग्स दिए और भारतीय संगीत को उस अवसाद भरे दौर से निकालने की भरपूर कोशिश की। इस कोशिश को अंजाम तक पहुँचाने में कुछ खूबसूरत आवाजों का भी योगदान था। ये आवाजें थी, कुमार सानु, उदित नारायण, अलका याग्निक और सोनू निगम जैसे कलाकारों की।

2000 और उसके बाद का समय Evolution of Bollywood Music

साल 2000 के बाद जैसे ही फिल्म इंडस्ट्री ने एक नए दौर में प्रवेश किया और बॉलीवुड संगीत ने अपने पैर जमा लिए। फिल्मों में जहां वेस्टर्न धुनों का बोलबाला है, वहीं इंडियन और इंडो-वेस्टर्न गीतों को भी जगह मिली है। जहां सोनू निगम अपने सुरों से लोगों के दिल में जगह बनाते हैं और श्रेया घोषाल अपनी आवाज से चीनी बिखेरते हैं, वहीं यो यो हनी सिंह के शरारती गानों को भी जगह मिल गई है।

बॉलीवुड के गीतकार Bollywood Lyricist

अगर संगीत की बात करें और इन खूबसूरत गानों को लिखने वाले गीतकारों का जिक्र न किया जाए तो बहुत गलत होगा। इन कालजयी गीतों को लिखने वाले गीतकारों में शकील बदायूंनी, शैलेन्द्र, हसरत जयपुरी, मजरूह सुल्तानपुरी, साहिर लुधियानवी, कैफ़ी आजमी, आनंद बख्शी और गुलजार कुछ ऐसे नाम हैं, जिन्हे कभी भी भुलाया नहीं जा सकेगा। कैसे खूबसूरत लड़की को देखकर आनंद बक्शी ने लिखा “रूप तेरा मस्ताना”

लता, आशा, रफ़ी और किशोर की सुरीली आवाज़ों से लेकर आधुनिक गायकों जैसे अरिजीत सिंह, मिक्का सिंह, नेहा कक्कर और शान जैसे गायकों की मंत्रमुग्ध कर देने वाली आवाज़ों तक और अतीत की दिल को छू लेने वाली रचनाओं से लेकर आज के थिरकने वाले गीतों तक का सफर बहुत खूबसूरत रहा है।

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